अस-सलामु अलायकुम/नमस्कार/सत श्री अकाल/ LOTS OF LOVE दोस्तों !

सूक्ष्म ब्लॉग: व्यापार का धर्म उचित मूल्य, विज्ञापन, सभी धर्म, देश और संसाधन हैं।

सूक्ष्म ब्लॉग का सूक्ष्म विश्लेषण:
व्यापार का धर्म सभी धर्मों का सम्मान , सभी देशो से मित्रता, विज्ञापन और स्त्रोतों की आपूर्ति उचित मूल्य पर करना हैं | पहले यह व्यापार था| अब यह ई-व्यापार बन गया है। इस प्रकार “व्यापार” शब्द अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया है।
मैं किसी देश की व्यापार नीति को सबसे दयनीय और निम्न स्तर का मानता हूँ जो अपने बलबूते पर अपने देश के कच्चे माल और उनसे बने उत्पाद से अपने देश और अन्य देशों में व्यापार करना चाहता हैं | व्यापार की यह निति देखने, सुनने और लिखने में बहुत अच्छी लगती हैं| किन्तु! उस देश में कितने तरह के कच्चें माल और संसाधन, कब तक हैं ? यह एक प्रश्न हैं |
पृथ्वी पर ऐसा कोई भी देश नहीं जिसके पास सभी तरह के कच्चे माल, उत्पाद, ख़निज, फ़सल, पेट्रोल, पेट्रोलियम और सभी तरह के संसाधन मौजूद हो | यह सार्वभौमिक सत्य है|

कई देशों में तो पर्याप्त जल भी नहीं | बाकी अन्य स्त्रोतों और अन्य देशों की स्तिथि की मैं क्या बात करुँ या लिखुँ ?

पृथ्वी पर कोई भी देश सभी संसाधनों से समृद्ध नहीं है| जो संसाधन हैं| वो सीमित हैं और बहुमूल्य हैं| अत: प्रत्येक देश को संसाधनों के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहना होगा |  

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ENGLISH VERSION:

Micro Blog: Religion of Trade Appropriate Rate, Religions, Ad, Countries and Resources.

Microanalysis of  Micro Blog:
The religion of Trade is respect for all religions, friendship with all countries, ads and supply of resources at appropriate rates. Previously it was Trade. Now, It has become e-trade. In this way, the word TRADe has reached its zenith.
I consider the trade policy of any country to be the most pathetic and the lowest standard which wants to do trade in its own country and in other countries with its own raw materials and products made. This trade policy sounds very good to see, hear and write. However! How many types of raw materials and resources are there in that country and for how long time? This is a question.

There is no country on earth which has all types of raw materials, products, minerals, crops, petrol, petroleum and all types of resources. This is the universal truth.
Even in many countries, there is not enough water. What should I talk about or write about other sources and the situation in other countries?
*There is no country on earth that is rich in all resources. The resources that are available are limited and precious*. Hence, Every country will have to depend on each other for resources.

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