अस-सलामु अलायकुम/नमस्कार/सत श्री अकाल/ LOTS OF LOVE दोस्तों !

ज्ञान वस्तुतः “ज्ञान (नॉलेज) का अभाव” है।
हिंदी का पहला अक्षर “अ” और अंग्रेज़ी का पहला अक्षर “A ” ज्ञान हुआ|
नहीं! ज्ञान (नॉलेज) “अज्ञान” हुआ।
ज्ञान(नॉलेज) ने तुरंत हिंदी अक्षर “अ और अंग्रेज़ी अक्षर  (Kके )” नजरअंदाज किया |
अचानक से ज्ञान(नॉलेज) को हिंदी अक्षर “अ ” और अंग्रेजी अक्षर “के(K)” का एहसास हुआ| ये सभी तो महत्वपूर्ण अक्षर हैं |
ज्ञान (नॉलेज) अंग्रेज़ी में स्वीकृत ज्ञान (एक्नॉलेज)} और हिंदी में फिर अज्ञान हुआ।
ज्ञान (नॉलेज) जोर से चिल्लाया हिंदी अक्षर “अ A ” और विनम्रतापूर्वक अंग्रेजी अक्षर ” क K के ” का उच्चारण हुआ | मगर “अ A और क K के ” का उच्चारण अंग्रेज़ी और हिंदी में अब भी ठीक न हुआ | अंग्रेज़ी में उच्चारण तो एक्नॉलेज हुआ| हिंदी में उच्चारण “अज्ञान हुआ|
जब भी ज्ञान नॉलेज और एक्नॉलेज शब्द बने | अंग्रेज़ी में  कभी “क K के ” में से कुछ खोया तो कभी “अ A ”  में से कुछ खोया | हिंदी में ज्ञान अज्ञान हुआ|
इसलिए मैंने इसे “सायरो अक्षर कला” कहा हैं |
आप यह भी कह सकते हैं.यह क्या मूर्खता है? अक्षर “इ E ए” कहाँ है?
विश्लेषण : ज्ञान(नॉलेज) जितना अर्जित करो कम हैं | “ज्ञान (नॉलेज) का अभाव” है।

दूसरें शब्दों मैं ज्ञान को अक्षर “अ” का ज्ञान हुआ |
ज्ञान अज्ञान हुआ |
इस तरह हिंदी वर्णमाला अक्षर “अA” से अंत में अक्षर “ज्ञ GYA” और अंग्रेज़ी वर्णमाला अक्षर “A अ” से अंतिम अक्षर “Z ज़ी का निर्माण और उच्चारण हुआ |
अब मत पूछना | हिंदी वर्णमाला का अक्षर “ऋ RI ” और अंग्रेज़ी वर्णमाला का अक्षर ” क K के” कहाँ हैं?
नहीं तो ! दुबारा से लिखूंगा | ज्ञान जितना अर्जित करो कम हैं | “ज्ञान (नॉलेज) का अभाव” है।

इसके ऊपर ! दुनियाँ के सभी अक्षरों का निर्माण और उच्चारण संस्कृत से हुआ हैं |
ज्ञान साधारण ज्ञान और सामान्य ज्ञान हुआ|
या, स अक्षर साधारण ज्ञान और सामान्य ज्ञान हुआ |
जिसको जो अक्षर और आकृति अच्छी लगी | संस्कृत के अक्षरों में से उठा लिया |
चाहें कोई अक्षर हो , बिंदु हो , चंद्र बिंदु हो या कोई रेखा या डंडी |
चार डंडी मेरे पास थी | मैंने “A” से “Z” एक ही आकार का बनाया |
जहाँ और डंडी की जरूरत लगी “A” और “Z” को मिलाया |
अंग्रेज़ी के अलग़ -अलग अक्षर बनाया |
एक डंडी टेढ़ी थीं | एक डंडी को दो भागों में तोड़ लिया |
इस तरह उन डंडियों से कभी “C सी ” तो कभी “D डी” और “A” से “Z” बनाया |
किन्तु !अंग्रेजी भाषा को रोमन लिपि से जोड़ दिया |
आर्यभट ने चाँद को देखा | शुन्य की ख़ोज हुई |
रोमन में शुन्य जोड़ दिया और रोमन (R0man) लिख दिया |रोमन (Roman) में 0 आया कहाँ से ?
अरे ! 0 भारत ने दिया था | किसी ने शुन्य लिखा तो किसी न O (ओ ) लिखा | 
रोमन गिनती में शुन्य के लिए पहले “नला ”  लिखा था | मैं “X” लिखूंगा. इसलिए, RXMAN.
बाद में 90 गिनती में शून्य को आधा या बीच में से काट दिया | मैं तो कहूंगा आधा चाँद देखा | और 90 XC लिख दिया |
100 को C लिख दिया |

न सिर्फ़ धरती घूमती हैं | कई युगों में धरती पर फल -फूल रहे देश और सभ्यता भी घूम जाती हैं |
कुछ लोग तबाही के वज़ह से अपनी सभ्यता और संस्कृति के साथ कहीं पलायन कर जाते हैं |
और ! अपनी सभ्यता और संस्कृति का विकास कर लेते हैं |
कहीं पूर्व का देश पश्चिम में और पश्चिम का देश दक्षिण में घूम जाता हैं |
परमात्मा का शुक्रगुजार हूँ | मैं जीवित हूँ और उत्तर दिशा से होते हुए सब देख रहा हूँ |
दुबारा से लिखूंगा | ज्ञान जितना अर्जित करो कम हैं | “ज्ञान (नॉलेज) का अभाव” है।

अपनी सुविधानुसार भुगतान करें। चुनाव आपका है!
आपके सभी विवरण हमारे पास पूरी तरह से सुरक्षित और गोपनीये है।

ENGLISH VERSION:

Knowledge is literally “Lack of Knowledge”.
The first letter of English ” A” and Hindi letter “अ”  became knowledge.
No! Knowledge became “Ignorance”.
Knowledge immediately ignored the Hindi letter “अ-ए (A)” and the English letter ” क K के”
All of Sudden Knowledge was realized, Hindi letter “अ A ए ” and English Letter ” क K के”
Knowledge became “Acknowledge in English and Agyan in Hindi.
Knowledge shouted the Hindi letter “अ A ए” and pronounced politely English letter ” क K के”.
However, the pronunciation of the letters “अ A ए और क K के” is still not correct in English and Hindi. Its pronunciation is Acknowledge (uhk-no-luhj) एक्नॉलेज   in English and Agyan अज्ञान in Hindi.
Whenever the words Knowledge ( pronunciation – no-luhj) and Acknowledge (pronunciation uhk-no-luhj) are formed. It is a lack of Knowledge.  Sometimes lost “क K के” and sometimes lost “अ A ए ” in English.
Knowledge became Agyan in Hindi.
That’s why I have called it “Sairo Letter Art “.
You can also say this. What is this stupidity? Where are the letters” इ E ” and “सी C स” in Knowledge and Acknowledge while we pronounciate? I suggest, Eat an Apple.
Analysis: The more knowledge you earn, the less it is. Knowledge is literally “Lack of Knowledge”.

In other words, Knowledge got the knowledge of the Hindi and English letter अ-ए and A.
Knowledge became Ignorance.
In this way, the Hindi Alphabet’s first letter “अ A ए” and the last letter “ज्ञ GYA” and the English Alphabet’s first letter” अ A ए” and the Last letter “Z ज़ी “were formed and pronounced.
Hence, Knowledge became Acknowledged.
Don’t ask now, Please! Where are the Hindi alphabet letter “ऋ RI” and the English alphabet letter ” क K के”?
Or else! I will write again The more knowledge you earn, the less it is.

On the top of it! All the alphabets of the world have been created from Sanskrit letters, pronunciation and language.
Knowledge became Common knowledge and General knowledge.
Or, C became Common Knowledge and G became General Knowledge.
The one who liked the letter and shape. Picked up from the Alphabet of Sanskrit.
Be it a letter, a point, a moon point or a line or stick.
I had 4 sticks with me. I made “A” to “Z” the same size.
Where more sticks are needed, I merged “A” and “Z”
Made different letters in English.
One stick was crooked. One stick is broken into two parts.
In this way, sometimes made “C” and sometimes “D” and made “A” to “Z” from those sticks.
But! The English language was linked to the Roman script.
Aryabhatta saw the moon. Zero was discovered.
Added zero to Roman and wrote R0man. Where did the 0 in Roman come from?
Oho! 0 was given by India. Some wrote zero and some wrote O.
The first “nulla” was written for 0 in Roman counting. I will write “X”. Hence, RXMAN.
Later in the 90 count, the zero was cut in half or in the middle. I would say they saw the half-moon. And wrote 90 XC.
100 is written as C.

Not only the earth rotates. Countries and civilizations that are flourishing on the earth also move around over many ages.
Some people migrate somewhere along with their civilization and culture due to devastation.
And! Let’s develop their civilization and culture.
Somewhere the country of the east turns to the west and the country of the west turns to the south.
I am thankful to God. I am alive and seeing everything from the north direction.
I will write again The more knowledge you earn, the less it is.

PAY AT YOUR COMFORT. THE CHOICE IS YOURS!
ALL YOUR DETAILS ARE COMPLETELY SECURE AND CONFIDENTIAL WITH US.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?